बाजार का मनोविज्ञान
बाजार मनोविज्ञान किसी भी समय निवेशकों और व्यापारियों की सामूहिक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिति को संदर्भित करता है, जो शेयर बाजार के व्यवहार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
बाजार में उतार-चढ़ाव का प्रमुख कारण निवेशकों की भावनाएँ होती हैं, जैसे कि डर, लालच, उम्मीद, और निराशा। इन भावनाओं का असर शेयरों के मूल्य पर पड़ता है और यही बाजार की दिशा को निर्धारित करता है।
मार्केट साइकोलॉजी को एक शक्तिशाली कारक माना जाता है। जो किसी विशेष बुनियादी बातों या घटनाओं से न्यायसंगत किया जा सकता है और नहीं भी।
उदाहरण के लिए, यदि निवेशक अचानक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य में विश्वास खो देते हैं और स्टॉक खरीदने से पीछे हटने का फैसला करते हैं, तो समग्र बाजार की कीमतों को ट्रैक करने वाले सूचकांक गिर जाएंगे और इसलिए व्यक्तिगत स्टॉक उनके साथ गिर जाएंगे, भले ही उन शेयरों के पीछे कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन कुछ भी हो।
बाजार मनोविज्ञान के प्रमुख घटक (Key Components of Market Psychology)
लालच (Greed): जब किसी स्टॉक की कीमत अचानक तेजी से बढ़ने लगती है, तो बहुत सारे निवेशक उत्साह में आकर, यह सोच कर इसकी और आकर्शित हो जाते हैं कि कीमत अभी और बढ़ेगी। फिर जब स्टॉक ऊपर की तरफ जाता है तो, ये थ्रिल में आकर ज्यादा खरीदारी कर लेते हैं और लालच में आकर ऊपर के लेवल पर फस जाते हैं।
डर (Fear): जब किसी शेयर के गिरने की संभावना होती है, तो निवेशक इसे जल्दी बेचने की कोशिश करते हैं ताकि नुकसान से बच सकें। इस डर के कारण कई बार बाजार में एक बड़ी गिरावट आती है।
ऊपरी स्तर पर खरीदारी करने के बाद अगर बाजार गिरता है तो ये चिंता में आ जाता है। लेकिन इस समय पर बाजार में खुदरा निवेशक सुधार को स्वीकार नहीं कर पाते। और जब बाजार और नीचे जाता है तो इनकी चिंता डर में बदल जाती है।
और एक समय ऐसा आता है जब इनको लगता है कि मार्केट मेरे लिए नहीं है। मुझे सब कुछ बेचकर बाजार से बाहर निकलना होगा। लेकिन यहीं जगह है, जहां निवेश करने का सबसे अच्छा अवसर होता है।
आशा (Hope) जब किसी कंपनी के भविष्य को लेकर सकारात्मक खबरें होती हैं, जैसे नए उत्पाद का लॉन्च या बढ़ती कमाई की संभावना, तो निवेशक इस उम्मीद में शेयर खरीदते हैं कि उनकी कीमत और बढ़ेगी।
जब बाजार में सबसे ज्यादा निराशा हो, अगर निवेशक वहां स्टॉक में निवेश कर पाता है, तो उसको बाजार के ऊपर जाने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। क्यूँ इस समय बाज़ार नीचे के स्तर पर मजबूत (Consolidate) हो रहा होता है
निराशा (Despair): जब किसी कंपनी का प्रदर्शन खराब होता है या अर्थव्यवस्था में मंदी का माहौल बनता है, तो निवेशक निराश हो जाते हैं।
इसके अलावा जब बाजार काफी इंतजार के बाद भी ऊपर नहीं जाता तब भी निवेशक के मन में निराशा का जन्म होने लगता है। और इस निराशा के चलते वो अपनी होल्डिंग्स बेचने लगते हैं।
भीड़ का प्रभाव (Herd Mentality): निवेशक काफी बार यह देखकर खरीदारी करते हैं कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं। और धीरे-धीरे सभी एक ही दिशा में चलने लगते हैं। ये मानसिक स्थिति एक बुलबुले को जन्म देती है।
जैसे कि डॉट-कॉम बबल में हुआ था, जब सभी टेक्नोलॉजी स्टॉक्स में निवेश कर रहे थे और अंत में बड़े पैमाने पर नुकसान का सामना करना पड़ा था।
फंडामेंटल और टेक्निकल डोनो ही तरह के विशलेषण मार्केट की सायोकोलॉजी समझने में मदद करते हैं। एक जागरूक निवेशक इनका उपयोग करके सटीक निर्णय ले सकता है।
मार्केट बार-बार सायोकोलॉजी चक्र के माध्यम से गुजराता है।