Sunday, October 20, 2024

What is the Primary Market? (in Hindi)

प्राथमिक बाजार और कंपनियों की पूंजी जुटाने के तरीके


इस लेख में प्राथमिक बाजार (Primary Market) के विभिन्न तरीकों जैसे IPO, राइट्स इश्यू और निजी प्लेसमेंट के माध्यम से कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को समझाया गया है।

अपने पिछले लेख (शेयर क्या हैं?) में हमने बात की, कि कैसे कंपनियां, आईपीओ के जरिए अपने बिजनेस के लिए पुंजी जुटती है। आइये इस विषय में आगे बात करते हैं।

आईपीओ के अलावा, कंपनी राइट्स इश्यू (Rights Issue) या प्राइवेट प्लेसमेंट (Private Placement): के माध्यम से भी पैसा जुटा सकती है इसे प्राथमिक बाजार यानी Primary Market भी कहते हैं।

प्राथमिक बाजार क्या है? (What is the Primary Market?)

प्राथमिक बाजार (Primary Market) वह बाजार है जहाँ कंपनियां पहली बार अपने शेयर, बॉन्ड, या अन्य वित्तीय साधन जारी करती हैं और उन्हें सीधे निवेशकों को बेचती हैं। इसे इश्यू मार्केट (Issue Market) भी कहा जाता है।

जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जारी करती है, तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offer) कहते हैं। IPO के जरिए कंपनी अपने शेयर आम जनता या संस्थागत निवेशकों को बेचती है। इससे कंपनी को पूंजी मिलती है, जिसका उपयोग वह अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए करती है। निवेशक जो इन शेयरों को खरीदते हैं, वे कंपनी के मालिक बन जाते हैं और भविष्य में उसके मुनाफे और नुकसान में भागीदार होते हैं।

प्राथमिक बाजार के मुख्य तरीके (Main methods of primary market):

प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO):

शुरुआत में, एक निजी कंपनी अपने शुरुआती निवेशकों, संस्थापकों और शेयरधारकों के साथ मिलकर आगे बढ़ती है। जब कंपनी एक विशेष लक्ष्य हासिल कर लेती है और प्रबंधन को लगता है कि वे SEC (Securities and Exchange Commission) के नियमों का पालन करने, बढ़ने और जनता के पैसे का उपयोग करके विविधता लाने के लिए पर्याप्त स्थिर हैं, तब कंपनी Initial Public Offering (IPO) की पेशकश करने का निर्णय लेती है। इसके माध्यम से, कंपनी में हिस्सेदारी को शेयरों के माध्यम से आम जनता को पेश किया जाता है। IPO के बाद, ये शेयर द्वितीयक बाजार (secondary market) में व्यापार के लिए उपलब्ध हो जाते हैं।

आईपीओ भी दो प्रकार के होते हैं,

  • निश्चित मूल्य आईपीओ (Fixed Price Offering) जहां कंपनी खुद तय करती है कि उनके शेयर का क्या मूल्य होना चाहिए और खरीदारों को शेयर खरीदने के लिए, वही राशि का भुगतान करना होता है।
  • बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO), कंपनी अपने स्टॉक का न्यूनतम और अधिकतम मूल्य सीमा निर्धारित करती है। और खरीदार उसी सीमा में बोली लगाते हैं। शेयर की कीमत अंडरराइटर और कंपनी के निवेशकों द्वारा सर्वेक्षण के साथ निर्धारित की जाती है कि शेयर का मूल्य क्या होगा। उसके बाद निर्धारित मूल्य पर चयनित निवेशकों को स्टॉक मिलते हैं।

राइट्स इश्यू (Rights Issue):

राइट इश्यू के जरिए, स्टॉक मार्केट में पहले से ही कंपनियों की सूची, अपने मौजूदा शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर खरीदने का मौका देती है। हालांकि ये शेयर होल्डर पे निर्भर करता है कि वो अतिरिक्त शेयर खरीदना चाहता है या नहीं।

राइट्स इश्यू से कंपनी का इक्विटी बेस बढ़ जाता है, और स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयरों की लिक्विडिटी भी बढ़ जाती है। हालांकि, शेयरों की संख्या बढ़ने के बावजूद, कंपनी के मालिकाना हक पर कोई असर नहीं पड़ता है। कंपनी का मालिकाना हक उन्हीं लोगों के पास रहता है, जिनके पास राइट्स इश्यू जारी करने से पहले था।

कंपनियां ये अतिरिक्त शेयर एक निश्चित अनुपात में ही देती हैं। मान लीजिए, कंपनी ने राइट्स इश्यू के लिए 1:4 का अनुपात तय किया है। इसका मतलब यह है कि एक शेयरधारक, अपने पास पहले से मौजूद 4 शेयरों पर एक अतिरिक्त शेयर खरीद सकता है।

राइट्स इश्यू के जरिए कंपनियां अपने शेयरधारकों को डिस्काउंट भी देती हैं, जिससे उन्हें बाजार कीमत से कम पर शेयर खरीदने का मौका मिलता है। यह शेयरधारकों के लिए एक आकर्षक अवसर होता है, क्योंकि वे कम कीमत पर अतिरिक्त शेयर खरीद सकते हैं। यदि किसी कंपनी के शेयर की बाजार कीमत 100 रुपये है और कंपनी राइट्स इश्यू के तहत 10% डिस्काउंट की घोषणा करती है, तो शेयरधारक 90 रुपये प्रति शेयर की दर से अतिरिक्त शेयर खरीद सकता है।

निजी प्लेसमेंट (Private Placement):

किसी भी कंपनी द्वारा अपने स्टॉक, बॉन्ड, या अन्य प्रतिभूतियों को चुनिंदा निवेशकों को बेचना ही निजी प्लेसमेंट कहा जाता है। यह किसी नए स्टार्टअप के लिए आईपीओ का दूसरा विकल्प है। प्राइवेट प्लेसमेंट में आईपीओ की तुलना में नियम और कानून बहुत कम होते हैं। और कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग के बिना भी अपने शेयर चुनिंदा निवेशकों को बेच सकती हैं। इसका मतलब है कि इसमें अंडरराइटिंग की प्रक्रिया तेज होती है और कंपनी को जल्द ही फंडिंग मिल जाती है। लेकिन निवेशकों को इसमें बाजार में सूचीबद्ध बांड/प्रतिभूतियों की तुलना में अधिक रिटर्न की उम्मीद होती है, और वे अधिक प्रतिशत शेयरों की भी मांग कर सकते हैं।

प्राथमिक बाजार कंपनियों को सीधे निवेशकों से पूंजी जुटाने का मौका देता है, जिससे वे अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं, नई परियोजनाओं में निवेश कर सकते हैं, या कर्ज चुकाने में मदद पा सकते हैं। यह बाजार निवेशकों को नए शेयर खरीदने का अवसर भी प्रदान करता है, जिससे वे कंपनी के विकास और मुनाफे का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, जब कंपनियां पूंजी जुटाती हैं और विस्तार करती हैं, तो इससे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होती है, रोजगार के नए अवसर बनते हैं और अर्थव्यवस्था को फायदा होता है।

प्राथमिक बाजार वह स्थान है जहाँ कंपनियां पहली बार अपने वित्तीय साधन, जैसे शेयर या बॉन्ड, जारी करती हैं और उन्हें निवेशकों को बेचती हैं। यह कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक प्रमुख स्रोत है और निवेशकों को नए निवेश के अवसर प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद करना और उनके विस्तार के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना है।





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Saturday, October 19, 2024

What is a Share? (In Hindi)

शेयर क्या है? (What is a Share?)


शेयर बाजार में निवेश करते समय सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि शेयर क्या होते हैं और कैसे वे किसी कंपनी में आपकी हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब कोई व्यक्ति या निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदता है, तो वह उस कंपनी का आंशिक मालिक बन जाता है। इसके जरिए वह कंपनी के मुनाफे और संपत्ति में हिस्सा पाता है। हम आपको बताएंगे कि शेयर कैसे काम करते हैं, कंपनी के स्वामित्व में उनका क्या महत्व है?

शेयर यानि किसी कंपनी में हिस्सेदारी । जब कोई व्यक्ति या निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदता है, तो वह उस कंपनी का आंशिक मालिक बन जाता है। इसका मतलब यह है कि उसे कंपनी के मुनाफे में हिस्सा मिलता है और वह कंपनी की संपत्ति का भी आंशिक हकदार होता है। कंपनी शेयरों के माध्यम से पूंजी जुटाती है, जिसका उपयोग वह अपने व्यापार के विस्तार, नए प्रोजेक्ट्स, या संचालन में करती है।

एक कंपनी के हर शेयर की वैल्यू एक जैसी होती है। अब ये कंपनी पर निर्भर करता है कि वो अपनी कंपनी के कितने शेयर बनाये। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी का वैल्यूएशन 1 लाख रुपये है तो वह 1-1 रुपये का 1 लाख शेयर भी बन सकती है या 25-25 पैसे का 4 लाख शेयर भी।

जब भी कंपनी शेयर इश्यू करती है तो 100% शेयर बाजार में नहीं बेचती है। कंपनी अपना स्वामित्व बनाए रखने के लिए कम से कम 50% शेयर अपना पास रखती है। जिसके पास सबसे ज्यादा शेयर होते हैं वही सबसे शक्तिशाली डिसिजन मेकर हो सकता है। अगर सारे ही शेयर बेच दिए जाएंगे, तो स्वामित्व संस्थापकों से शिफ्ट होकर शेयरधारक के पास जा सकता है। यही कारण है कि कंपनी के मालिक शेयर मार्केट में अलॉट नहीं करते हैं।

जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जारी करती है, तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) कहते हैं। IPO के जरिए कंपनी अपने शेयर आम जनता या संस्थागत निवेशकों को बेचकर पुंजी जुटाती है।





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What is Stock Market? 



What is stock market? (In Hindi)

शेयर बाजार क्या है? (What is stock market?)


हम आपको बताएंगे कि शेयर बाजार क्या है, यह कैसे काम करता है, और यह कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है। आप सरल शब्दों में शेयर बाजार की मूल बातें जानेंगे, जैसे कि शेयर, इक्विटी, और कैसे निवेशक किसी कंपनी के हिस्सेदार बन सकते हैं। हम एक व्यावहारिक उदाहरण के माध्यम से यह भी समझाएंगे कि व्यवसाय कैसे निवेश के माध्यम से बढ़ते हैं और शेयरधारक किस तरह लाभ और जोखिम साझा करते हैं। अंत तक, आपको स्टॉक मार्केट की बेहतर समझ हो जाएगी और आप जानेंगे कि कैसे यह सभी के लिए जीत-जीत की स्थिति बनाता है।

Stock market मतलब शेयर बाजार, अब देखिए शेयर का हिंदी में मतलब होता है हिस्सा, तो शेयर बाजार का मतलब हुआ हिस्सा बाजार। स्टॉक मार्केट में वह स्थान है जहां कंपनी के शेयरों (हिस्सेदारी) की खरीद और बिक्री होती है। इसे इक्विटी बाज़ार भी कहा जाता है। जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप कंपनी के उतने ही प्रतिशत के मालिक बन जाते हैं। अब अगर कंपनी को प्रॉफिट होता है तो आपको भी प्रॉफिट का फायदा मिलता है। और अगर नुकसान होता है तो आपको भी आपके निवेश पर नुकसान का सामना करना पड़ेगा। शेयर बाज़ार में निवेशकों और कंपनियों दोनो के लिये जीत-जीत की स्थिति है, कंपनियों को अपने नए उत्पाद या व्यापार विस्तार के लिए पैसा (फंड) मिल जाता है और निवेशकों को भी ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिलता है।

उदाहरण: राज और प्रिया दोस्त हैं , एक कैफे शुरू करते हैं, जिसमें दोनों ₹1,00,000 का निवेश करते हैं। पहले वर्ष की सफलता के बाद, वे कैफे का विस्तार करने का निर्णय लेते हैं और अपने दोस्तों अमित और नेहा को 20% हिस्सेदारी के लिए ₹1,00,000 में 40% शेयर बेचते हैं। अब अमित और नेहा शेयरधारक बन गए हैं। जब कैफे ₹4,00,000 का लाभ कमाता है, तो लाभ उनके स्वामित्व के अनुसार बांटा जाता है। राज और प्रिया को प्रत्येक ₹1,20,000 मिलते हैं, जबकि अमित और नेहा को प्रत्येक ₹80,000 मिलते हैं। इस तरह, सभी कैफे की सफलता से लाभान्वित होते हैं, जबकि जोखिम और लाभ साझा करते हैं।

स्टॉक मार्केट में भी यही होता है, लेकिन एक बड़े पैमाने पर, फर्क सिर्फ इतना है कि आप अपने दोस्त के पास ना जाकर पूरी दुनिया के पास जाते हैं कि हमारी कंपनी में निवेश करे । यह एक संगठित माध्यम (organised platform) है, जहां निवेशक (Investors) कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदता है, और कंपनियों अपने stock, शेयर या इक्विटी के माध्यम से जनता को बेचकर पूंजी जुटाती हैं। निवेशक इन शेयरों को खरीदकर कंपनी में हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं और उम्मीद करते हैं कि शेयर की कीमत बढ़ेगी, जिससे उन्हें मुनाफा होगा।

स्टॉक मार्केट का प्रमुख उद्देश्य है कंपनियों और निवेशकों को एक जगह लाना | अब कंपनियों को पूंजी चाहिए होती है ताकि वे अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें, और निवेशक उन कंपनियों में अपनी पैसा लगाकर उसको बढ़ाने के लिए शेयर खरीदते हैं। यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों की कीमत बढ़ती है और निवेशक लाभ कमा सकते हैं।





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Tuesday, September 17, 2024

Wednesday, April 1, 2015

DLF: MID/Long term View

DLF if moving with an up-trending support line since November 2014. It will be a good catch to buy this stock if it breaks and close above 168. A small hurdle can be seen around  178-180 levels. If its breaks 168 then buying is suggested with Stoploss of 156  for target of 198-218.

Buy Price: Only if close above 168
StopLoss: 156 Closing basis
Target Price: 198 and more